हमारा यह जम्बूद्वीप (भारत) विश्व की अद्भुत संस्कृति की घटा पुरे विश्व में विखेर रही थी, उसी समय से अर्थात भगवान बुद्ध के समय से ही भारत विश्व गुरु कहा जाने लगा था, भवगवान बुद्ध का यह अद्भुत विद्या विश्व के कोने कोने में फैलाने लगा, ऐसे विद्या को चिरस्थाई रखने के लिए तमाम राजा महाराजाओ ने उत्तम कार्य किये और उन राजाओ में सबसे बड़ा उत्तम कार्य प्रियदर्शी सम्राट अशोक ने किया, उन्होंने तथागत के धम्म को स्थायी रखने के लिए, ८४ हजार स्तूप लाटो पर लोहे की कलम से , बुद्ध वाणी को अंकित करवाया जो की मनुवादियो द्वारा खंडित करने के वावजूद भी खंडहर के रूप में सजग प्रहरी के साथ सीना ताने खड़ा है, ऐसे ही सोच के साथ हम ट्रस्टयो ने धर्म को फैलाने रस्थाई रखने के लिए अपने धम्म सेवको के माध्यम से पुरे भारत में व्यापक अभियान चलाकर प्रत्येक मनुष्य को धर्म धार बनाना और समता समानता न्याय बंधुत्व को स्थापित करना ही हम ट्रस्टियो का सपना हैं
This Jambudweep (India) of our world was spreading the shade of the wonderful culture of the world.At the time of Lord buddha, India were called Vishwa Guru. Wonderful vidya of Lord Buddha propagated each and every corner of the world. To keep such learning everlasting, all the Raja Maharaja did excellent work.The greatest work among those kings was done by Priyadarshi Emperor Ashoka, he inscribed Buddha's speech with iron pen on 84 thousand stupas to keep the Dhamma of Tathagata forever. Got it done, which in spite of being ruined by the Manuwadis, is standing in ruins with a watchful watchdog, with the same thinking, we trustees have spread and propagated the religion, through our Dhamma sevak, spread all over India. It is the dream of the trustees to make every human being religious by running a campaign and to establish equality, justice and fraternity.